रविंद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन, टैगोर के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
आज देश भर में देश के राष्ट्रगान 'जन गण मन' के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई जा रही है.
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आज जन गण मन के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई जा रही है. उन्होंने भारत के अलावा बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांग्ला' की भी रचना की है. वहीं बंगाली कैलेंडर के अनुसार इनका जन्म बोइशाख महीने के 25 वें दिन 1422 बंगाली युग में माना जाता है.
रविंदनाथ के अनेकों रूप
आपको बता दें कि, रबीन्द्रनाथ ने एक लेखक के साथ ही संगीतकार, नाटककार, गीतकार, चित्रकार और कवि के तौर पर इतिहास में युगपुरुष के रूप में अपनी पहचान बनाई है. सन 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. मिली जानकारी के अनुसार, वह भारत के साथ ही एशिया महाद्वीप में नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं. आज रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उनके वो अनमोल विचार पढ़ेंगे जो आज भी लोगो को प्रेरणा देती है.
1. मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है, सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है.
2. हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं.
3. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा.
4. केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नहीं कर सकते हो.
5. प्यार अधिकार का दावा नहीं करता बल्कि यह आजादी देता है.
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टैगोर के जीवन की महत्वपूर्ण बातें
1. रविंद्रनाथ टैगोर ने गीतांजलि नामक पुस्तक लिखी. जो उनके जीवन की महान उपलब्धि कहलाती है. इस कविता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया.
रविंद्रनाथ टैगोर मुख्य तौर पर अपनी पद्य कविताओं के लिए जाने जाते हैं. हिंदी उपन्यास, निबंध, लघुकथाएं, नाटक और न जानें कितने हजार गाने इनके द्वारा लिखे गए हैं.
2. टैगोर ने गद्य में भी अपने लेखन के निशान छोड़े हैं जो काफी लोकप्रिय हैं. ऐसे में इन्हें बंगाली भाषा के संस्करण की उत्पत्ति का श्रेय भी मिलता है. रविंद्रनाथ टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी के साथ 9 दिसंबर 1893 को हुआ था.
3. टैगोर के चार बच्चे थे, जिनमें से दो की मृत्यु बालावस्था में ही हो गई थी. एक बेटी टीबी की बीमारी से ग्रस्त थी, जिसका निधन 12 वर्ष की अवस्था में हुआ. उसका नाम रेणुका था, जिस पर इस दौरान रविंद्रनाथ टैगोर ने शिशु नामक कविता भी लिखी.
4. सन 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. इसी के साथ टैगोर भारत और एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ.