जानिए क्या है सीएम ममता बनर्जी का नंदीग्राम संग गहरा नाता, बंगाल की राजनीति में रहा है बड़ा योगदान
साल 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों शोरों पर है जिसमें सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है कि वह इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने वाली हैं।
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साल 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों शोरों पर है जिसमें इस बार भाजपा की चुनौतियों का जवाब देने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। वही सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि वह इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने वाली हैं। यही नहीं साल 2016 के विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी वजयी रही थी जिसके चलते उन्होंने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ममता बनर्जी का नंदीग्राम से पुराना नाता रहा है। साल 2007 के ममता बनर्जी के नंदीग्राम आंदोलन ने उन्हें एक नई पहचान देने का काम किया और इस आंदोलन के कारण वह वामपंथी सरकार को सत्ता से बाहर करने में सक्षम रही थी। अब की बार जो चुनाव होने वाले हैं उसके क्या परिणाम रहेंगे वो देखने वाली बात है। लेकिन इस बार अप्रैल-मई में बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। वही राज्य में मुख्य मुकाबला टीएमसी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है। लेकिन इसी बीच आइए हम आपको बताते है कि अखिर नंदीग्राम आंदोलन ममता बनर्जी से कैसे जुड़ा हुआ और कैसे बंगाल की राजनीति का काया पलट इसने किया है।
नंदीग्राम आंदोलन क्या है?
वर्तमान सीएम ममता बनर्जी पिछले दशकों की राजनीति में नंदीग्राम आंदोलन को एक हथियार बनाकर वामपंथियों को उखाड़ फेंकने में सफल रहीं। 2007 में तत्कालीन सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल की वाम सरकार ने सलीम ग्रुप को स्पेशल इकनाॅमिक जोन की नीति के तहत नंदीग्राम में एक केमिकल केंद्र स्थापित करने की अनुमति देने का निर्णय लिया। इसके साथ ही राज्य सरकार की योजना के विवाद के कारण विपक्षी दलों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाई जिसमें उन्होंने टीएमसी, एसयूसीआई, जमात उलेमा-ए-हिंद और कांग्रेस के सहयोग से भूमि उच्छेद प्रतिरोध अधिग्रहण का गठन किया और सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरु किया गया। वही इस आंदोलन का नेतृत्व तत्कालीन ममता बनर्जी और उनके नायक शुभेंदु अधकारी ने किया था।
नंदीग्राम आंदोलन से ममता को मिली ताकत
नंदीग्राम में किसानों के लिए चलाए गए ममता बनर्जी के आंदोलन ने उन्हें पश्चिम बंगाल की सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। साल 2007 के आंदोलन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए झड़प में 14 लोगों की जान चली गई। इसके बाद ममता ने 'मा, माटी, मानुष' का नारा दिया और लेफ्ट सरकार के खिलाफ एक विशाल आंदोलन को आगे बढ़ाया। वही आपको बता दें कि सुवेन्दु अधिकारी जो वर्तमान में नंदीग्राम से विधायक हैं और वह पिछले महीने ही तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी ममता बनर्जी अपनी पूरी ताकत लगाकर सत्ता में कायम रहेगी या फिर उन्हें मुंह के बल हार का सामना करना पड़ेगा?