खाने का चीनी और तेल होगा सस्ता! ताकि काबू में रहे महंगाई
पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद अब केंद्र सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए बड़ा कदम उठाया है. गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा दी है.
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पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद अब केंद्र सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने मंगलवार को मार्च 2024 तक सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के आयात पर सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना उपकर को हटाने की घोषणा की. सरकार ने दो साल के लिए यह बड़ा कदम उठाया है. सरकार का मानना है कि आयात शुल्क में इस छूट से घरेलू कीमतों में कमी आएगी और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी.
चीनी को लेकर सरकार ने एक और बड़ा फैसला
गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा दी है. सरकार ने चीनी निर्यात को 100 लाख टन तक सीमित करने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि चीनी की बढ़ती कीमत को रोकने और देश में इसकी सुचारू आपूर्ति जारी रखने के लिए यह फैसला लिया गया है. यह प्रतिबंध एक जून से अगले आदेश तक लागू रहेगा. चीनी मिलों और निर्यातकों को 1 जून के बाद निर्यात के लिए निर्यात जारी करने के आदेश के रूप में सरकार से मंजूरी लेनी होगी. जिस तरह से देश में चीनी की कीमतें बढ़ रही थीं, यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार जल्द ही इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है
इंडोनेशियाई प्रतिबंध
कच्चे पाम तेल के शिपमेंट पर इंडोनेशियाई प्रतिबंध के बाद कीमतों में बढ़ोतरी की भरपाई के लिए सरकार खाद्य तेल आयात पर लगाए गए उपकर को कम करने पर विचार कर रही है. एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) में 5% की कमी का प्रस्ताव कर सकता है, मिंट ने बताया. अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग द्वारा लिया जाएगा. वहीं, इंडोनेशियाई प्रतिबंधों के बाद भारत पाम तेल की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक माध्यम तलाश रहा है.