60 हिन्दू शवों का अंतिम संस्कार कर इन दो मुस्लिमों ने मानवता को कायम रखा
वो कहते है ना इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. जहां भोपाल के रहने वाले दानिश और सद्दाम इन दिनों इसी इंसानियत का परिचय देते हुए ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
वो कहते है ना इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है, जिसके पीछे दुनिया की हर अनमोल चीज़ भी फीकी है. ऐसी कई तस्वीरें इन दिनों भोपाल के श्मशान घाट पर देखी जा रही हैं. जहां मुस्लिम युवक हिंदू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं जिनके रिश्तेदार उनके अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं हुए. इन दिनों भोपाल में रहने वाले दानिश और सद्दाम इस मानवता का परिचय देते हुए ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

अब तक कर चुके है 60 शवों का अंतिम संस्कार
ऐसी कोरोनाकाल की स्थिति में जाति-धर्म के बंधन को तोड़ते हुए भोपाल के दानिश और सद्दाम ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. खासकर उन लोगों का जो दाह संस्कार करने के लिए सक्षम नहीं हैं. वही दोनों अबतक करीब 60 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.