न्याय के देवता है शनि देव, जन्म लेते पिता ने किया था परित्याग
शनि देव सूर्य पुत्र हैं. लेकिन सूर्य देव ने उन्हें काले रंग, निष्तेज आभा के चलते अपना अंश न मानते हुए परित्याग कर दिया. इसीलिए उनके अपने पिता के साथ अच्छे संबंध नही हैं.
Pooja MishraDelhi, 07 May 2022 ( Updated 07, May, 2022 02:09 AM IST )
आदिकाल से ही देवता, दानव और मानव सभी के जीवन में शनिदेव की मौजूदगी का विशेष महत्व है. उनका रंग सांवला और आभा निस्तेज थी. ऐसे पुत्र को देखकर सूर्यदेव आपा खो बैठे और उसका वध करने चल पड़े.
देवताओं के विवादों के निपटारे के लिए एक न्याय अधिकारी का जन्म हुआ. जो न सिर्फ सही गलत का फैसला करेगा, बल्कि सभी को सूर्य की तरह बिना भेदभाव उनके कर्मों का फल भी देगा. इधर पति के तेज से खुद को बचाने के लिए पत्नी संध्या को घोर तप के लिए जाना था. मगर पति से इस बात को छुपाए संध्या ने पिता विश्वकर्मा के बनाए आविष्कार का उपयोग कर अपनी छाया पति और बच्चों की देखरेख के लिए छोड़ दी.
भगवान शंकर के कहे अनुसार, छाया को पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन वह संध्या के बजाय छाया के पुत्र थे. ऐसे में उनका रंग सांवला और आभा निस्तेज था. ऐसे पुत्र को देखकर सूर्यदेव आपा खो बैठे और उसका वध करने चल पड़े, लेकिन संध्या बनीं छाया ने प्रार्थना कर दुधमुंह बालक शनि के प्राण तो बचा लिए, लेकिन सूर्यदेव ने उनका हमेशा के लिए परित्याग कर दिया. सूर्यदेव ने संध्या बनी छाया से शनि को पुत्र मानने से मना कर दिया और उसे हमेशा के लिए खुद से दूर ले जाने को कहा. मगर देव अंश शनि ने अपने बाल रूप में ही देवों को अपनी शक्ति और उत्पति के अदभुत रूप दिखाए तो सभी दंग रह गए.