डिप्टी एसपी को डिमोट कर बना दिया गया इंस्पेक्टर, जाने किस नियम के तहत हुई कार्यवाई

उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में पदावनात करते हुए सब इंस्पेक्टर बना दिया है.

डिप्टी एसपी को डिमोट कर बना दिया गया इंस्पेक्टर, जाने किस नियम के तहत हुई कार्यवाई
डिप्टी एसपी को डिमोट कर बना दिया गया इंस्पेक्टर

यूपी में एक हैरान करने वाली कार्यवाई सामने आई है. आपने अभी तक अधिकारियों का प्रमोशन होते सुना होगा. लेकिन यूपी सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में एक अधिकारी का डिमोशन करके डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को सब इंस्पेक्टर कर दिया गया है. 

रिपोर्ट्स के अनुसार रामपुर में डिप्टी एसपी रहे विद्या किशोर शर्मा का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें रिश्वतखोरी की बात हो रही थी. ऐसी खबर है कि जांच के दौरान एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया था. विद्या किशोर शर्मा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने नजीर पेश करने वाली कार्रवाई करते हुए डिप्टी एसपी से वापस सब इंस्पेक्टर बना दिया है. मुख्यमंत्री ने डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को उनके मूल पद पर डिमोट कर दिया है. ध्यान देने वाली बात है कि विद्या किशोर शर्मा पीएसी में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे.

इस नियम के तहत हुई कार्रवाई

विद्या किशोर शर्मा पर उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कार्यवाही उत्तर प्रदेश पुलिस दंड अपील एवं पुनरीक्षण नियमावली 1193 के तहत की है.  इस नियमावली के तहत पुलिसकर्मियों को दो तरह के दंड दिए जाते हैं. एक लघु दंड और दूसरा दीर्घ दंड.

जाने कैसे दिया जाता है लघु दंड

लघु दंड में पुलिसकर्मी के कैरेक्टर रोल पर मिसकंडक्ट लिख दिया जाता है. जिससे उसको भविष्य में तैनाती और प्रमोशन में मुश्किलें आती हैं. इस मामले में मिसकंडक्ट पाने वाला पुलिसकर्मी सीनियर अफसर के यहां अपील करता है. उस पर सुनवाई के बाद मिसकंडक्ट काटी जा सकती है. यानी ये परमानेंट दंड नहीं होता है.


क्या है दीर्घ दंड

दीर्घ दंड तीन प्रकार होते हैं. पहला बर्खास्तगी यानी पुलिस सेवा से ही बर्खास्त कर दिया जाए. दूसरा डिमोशन यानी आरोपी पुलिसकर्मी की पदावनती और तीसरा वेतन वृद्धि पर रोक.

जाने क्या है पूरा मामला 

आपको बता दें कि 2021 में रामपुर में तैनाती के दौरान सीओ विद्या किशोर शर्मा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे. एक महिला ने आरोप लगाया था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया, इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. इस मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ विद्या किशोर का एक वीडियो अफसरों के संज्ञान में आया.  इसके बाद आरोपी इंस्पेक्टर रामवीर यादव और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर एफआईआर दर्ज कर ली गई और तत्कालीन सीओ को सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर शासन ने इसकी जांच एएसपी मुरादाबाद से करवाई. जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इसके बाद सीएम योगी ने कड़ा एक्शन लेते हुए डिप्टी एसपी को फिर से सब इंस्पेक्टर (एसआई) बनाने का निर्देश दिया है.