कोरोना मरीजों की मौतें ऑक्सीजन की कमी से क्यों हो रही है? क्या इसका कोई समाधान है?

देश का प्रत्येक शहर ही कोरोना के मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है.

देश का प्रत्येक शहर ही कोरोना के मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है. बड़े उद्योगों से ऑक्सीजन ली जा रही है. बाहर से भी बुलवाई जा रही है. अमेरिका से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बुलवाए हैं. कई लोगों के लिए यह हैरानी वाला है. पहली लहर में तो ऐसा नहीं दिखा, अब ऐसा क्यों हो रहा है, आइए समझते हैं?

 

कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्यों जरूरी है ऑक्सीजन?

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मरीजों के लिए ऑक्सीजन जुटाने में किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

 


 

बिहार के गया जिले के प्राइवेट अस्पताल में ऑक्सीजन का प्रतिदिन चार्ज 25 हज़ार रुपये लिया जा रहा है. सोचिए, इतनी रकम एक गरीब या मध्यम वर्ग की जनता के लिए कितना माकूल है?


ऑक्सीजन सिस्टम के लिए किन उपकरणों की जरूरत होती है?

 

क्या होता है पल्स ऑक्सीमीटर?

ऑक्सीजन का स्रोत

एनालाइजर

क्या भारत में पर्याप्त ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है?

पर समस्या है परिवहन और स्टोरेज की. भारत के पास 1,224 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर हैं, जिनकी कुल क्षमता 16,732 मीट्रिक टन की है. पर ज्यादातर ऑक्सीजन पूर्वी हिस्से में बनती है और देश के अन्य हिस्सों में इसे पहुंचने में 6-7 दिन लग जाते हैं. इस तरह किसी भी दिन 3000-4000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही अस्पतालों तक पहुंच पाती है.

ऑक्सीजन की 50% सप्लाई स्टील कंपनियों से हो रही है. देशभर में 33 प्लांट्स से ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है. टाटा स्टील 600 मीट्रिक टन, JSW 1,000 मीट्रिक टन और इसी तरह रिलायंस इंडस्ट्री, अडाणी, आईटीसी और जिंदल स्टील एंड पॉवर समेत सभी बड़े स्टील प्लांट ऑक्सीजन दे रहे हैं. इंडस्ट्री ने अब तक 16,000 मीट्रिक टन स्टोरेज टैंक्स से लिक्विड ऑक्सीजन उपलब्ध कराई है.

ऑक्सीजन संकट का समाधान कब तक हो सकेगा?

 

आंकड़ों की बात करें तो भारत इस समय 100 क्रायोजेनिक कंटेनर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन इम्पोर्ट कर रहा है. मतलब की ऑक्सीजन की डिमांड बाहर से पूरी हो रही है. कई ऐसे कंटेनर हैं, जिसे भारतीय वायुसेना ने विदेशों से उठाए हैं. इन कंटेनर को ज़रूरत के मुताबिक देश के अन्य राज्यों में पहुंचाए जा रहे हैं.

पर यह संकट बना क्यों? ऑक्सीजन सिस्टम की अनदेखी क्यों हुई?

इस सवाल का जवाब हमें इंटरनल मेडिसीन स्पेशलिस्ट डॉक्टर स्वाति माहेश्वरी बताती हैं कि इसमें ऑक्सीजन बाजार की नाकामी भी रही है, जो अहसास नहीं दिला सकी कि यह कितना जरूरी है. इसके अलावा जानकारी की कमी और लापरवाही को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

 

डॉक्टर भैया के नाम से नाम से मशहूर डॉक्टर सुमन्त मिश्रा इस सवाल का जवाब हमें बताते हैं कि महामारी के संकट से निकालने के लिए ऑक्सीजन सिस्टम लगने में वक्त लगेगा. इसमें सबसे बुनियादी है ऑक्सीजन स्रोत. ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और ऑक्सीजन जनरेटर की व्यवस्था करना आसान नहीं है.