महज 24 घंटे में कोरोना वायरस को कंट्रोल कर सकती है ये नई मेडिसिन, बनेगी वैक्सीन का विकल्प!

कोरोनावायरस के प्रसार पर इस दवा का क्या प्रभाव पड़ता है इस बात का परीक्षण करने के लिए फेर्रेट मॉडल का इस्तेमाल किया।

कोरोनावायरस का प्रसार तेज़ी से बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन और दवाई के लिए भी प्रयास लगातार जारी है। अब तक मिली जानकरियों के मुताबिक ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2021 तक वैक्सीन आ सकती है। इसी बीच एक और खबर सामने आई है जिसके मुताबिक कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाए जा रहे वैक्सीन पर चल रहे परीक्षण के बीच, कुछ शोधकर्ताओं ने एक नई एंटीवायरल दवा की जानकारी दी है, शोधकर्ताओं का कहना है कि ये दवा 24 घंटे के अंदर ही सार्स-कोव-2 के प्रसार को पूरी तरह से रोक सकती है। 

आपको बता दें कि ये अध्ययन जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है जिसमे पाया गया कि  एंटीवायरल दवा मोलनुपीरवीर इस महामारी के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी। वर्तमान में ये दवा कोरोना संक्रमण के खिलाफ तीसरे और चौथे चरण के क्लिनिकल ​​परीक्षणों में है।

एंटीवायरल दवा मोलनुपीरवीर एक ऐसी दवा है जिसे इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए खोजा गया था। इस दवा की खोज जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ रिचर्ड पेल्पर और उनकी रिसर्च टीम द्वारा की गई थी। 

पामर्पर ने आगे कहा "हमने अध्ययन में ये पाया कि एमके -4482 / ईआईडीडी -2801 में श्वसन आरएनए वायरस के खिलाफ लड़ने की अच्छी क्षमता है।"

नेचर माइक्रोबायोलॉजी में अध्ययन को प्रकाशित किया गया जिसके अनुसार, पॉम्पर की टीम ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए मोलनुपीरवीर नाम की इस दवा को फिर से तैयार किया और कोरोनावायरस के प्रसार पर  इस दवा का क्या प्रभाव पड़ता है इस बात का परीक्षण करने के लिए फेर्रेट मॉडल का इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा" ये सच है कि फेरेट्स एक ट्रांसमिशन मॉडल हैं क्योंकि ये बहुत ही आसानी से वायरस का प्रसार करते हैं, लेकिन ज्यादातर किसी गंभीर बीमारी का विकास नहीं करते, जो युवाओं में फैलने वाले SARS-CoV-2 के समान है।"

क्योंकि इस दवा को मुंह से लिया जा सकता है, इसलिए इस दवा का लाभ तीन गुना ज्यादा होने की संभावना है जैसे रोगियों में होने वाली गंभीर बीमारी को रोकना, स्थानीय प्रकोप को कंम करना संक्रामक चरण को छोटा करना और।