युवाओं के लिए ख़तरा है 'हैप्पी हाइपोक्सिया', सबकुछ ठीक रहता है, मगर मौत हो जाती है

युवाओं के मामले में ये वायरस साइलेंट किलर बना हुआ है.

कोरोना वायरस (Corona Virus) ने युवाओं को अपनी चपेट में ले रखा है. युवाओं के मामले में ये वायरस साइलेंट किलर बना हुआ है. कई केस ऐसे देखने को मिल रहे हैं, जो बेहद चौंकानेवाले और चिंताजनक हैं. जानकार के मुताबिकअभी के वायरस बेहद ख़तरनाक हैं. मरीज में कोई लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं और अचानक से ऑक्सीजन का लेवल घटता चला जाता है. ये हैप्पी हाइपोक्सिया (happy hypoxia) के संकेत हैं. अपने आर्टिकल में हम आपको इसके लक्षण के बारे में विस्तार से समझाएंगे.


  1. एक्सपर्ट के मुताबिक, यह कोरोना वायरस का एक नया लक्षण है. कोरोना को आए हुए एक साल से अधिक हो गया है.  सर्दी, बुखार, खांसी से शुरू होकर यह इन्फेक्शन गंभीर निमोनिया और सांस लेने की समस्या तक पहुंचता है.
  2. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद भी इन्फेक्शन से छुटकारा नहीं मिल रहा है.
  3. हाइपोक्सिया का मतलब है- खून में ऑक्सीजन के स्तर का बहुत कम हो जाना.
  4. हाइपोक्सिया की वजह से किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंग काम करना बंद कर सकते हैं.

इसमें होता यह है कि शरीर में वायरल लोड तो होता है, और उसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान भी पहुंचता है. ऑक्सीजन का स्तर नीचे जाता है और नजर न रखें तो 50% तक भी पहुंच सकता है. फिर एकाएक सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी, घबराहट, पसीना आना, चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा छा जाना जैसे लक्षण होने लगते हैं. दो दिन पहले तक सामान्य नजर आ रहा मरीज एकाएक वेंटिलेटर पर पहुंच जाता है. यह हैप्पी हाइपोक्सिया क्या है और यह किस तरह मरीजों की स्थिति को बिगाड़ रहा है, इस पर हमने भोपाल के डॉ. वीके भारद्वाज, एमडी, हेमेटोलॉजिस्ट से बातचीत की.


  1. युवाओं में हैप्पी हाइपोक्सिया होने की दो वजह है. एक तो युवाओं की इम्युनिटी मजबूत होती है. दूसरा, उनकी ऊर्जा भी अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा होती है.
  2. आर्थिक तौर पर एक्टिव होने की वजह से इस समय युवा वायरस से ज्यादा इन्फेक्ट हो रहे हैं. इससे युवाओं में इन्फेक्शन गंभीर लक्षणों में बदल रहा है. हालांकि अब भी सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और कम इम्युनिटी वाले लोगों को ही है.

कोरोना मरीजों में अचानक ऑक्सीजन स्तर क्यों कम हो जाता है?

ज्यादातर रिसर्चर्स और मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाते हैं. इसे ही हैप्पी हाइपोक्सिया का प्रमुख कारण माना जाता है. इन्फेक्शन होने पर शरीर में सूजन बढ़ती है. इससे सेलुलर प्रोटीन रिएक्शन तेज हो जाती है. तब खून के थक्के बनने लगते हैं. इससे फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होती और खून में ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने लगता है.


हैप्पी हाइपोक्सिया को कैसे पहचानें?

कोरोना मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर पर अपनी ऑक्सीजन जांचने की सलाह दी जाती है. हैप्पी हाइपोक्सिया में होठों का रंग बदलने लगता है. वह हल्का नीला होने लगता है. त्वचा भी लाल/बैंगनी होने लगती है. गर्मी में न होने या कसरत न करने के बाद भी लगातार पसीना आता है. यह खून में ऑक्सीजन कम होने के लक्षण हैं. लक्षणों पर नजर रखने से जरूरत पड़ने पर तत्काल अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है.