भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण की जयंती मनाई जाती है. इस दिन व्रत का विशेष महत्व होता है. जन्माष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को सांसारिक सुख, समृद्धि और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कोई भी रख सकता है व्रत
जन्माष्टमी का व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं. इससे पापों का नाश होता है और सुख में वृद्धि होती है. व्रत करने वाले व्यक्ति को व्रत से पहले की रात मांसाहारी रहना चाहिए, साथ ही इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए. किसी विशेष तिथि को प्रातः स्नान करके उत्तर की ओर मुख करके सूर्य, सोम, पवन, दिग्पति, भूमि, आकाश, यम और ब्रह्मा आदि को प्रणाम करना चाहिए. हाथ में जल-अक्षत-कुश लेकर मास-तिथि का जाप करना चाहिए. पक्ष, ऐसा संकल्प ले कि मैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत अपने समस्त पापों के शमन और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए करूंगा.
12 बजे के बाद प्रसाद ग्रहण करें
रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोला जाता है. जन्माष्टमी का व्रत उन महिलाओं को करना चाहिए जिन्हें शादी के कई साल बाद भी संतान सुख नहीं मिल पाता है. जिन महिलाओं के बच्चे बीमार रहते हैं, उन्हें कोई जन्मजात रोग है, उन्हें जन्माष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए. जिन दंपत्तियों के बच्चे गलत रास्ते पर चले गए हैं, वे नहीं मानते, उन्हें भी जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए.