छठ पूजा के दौरान गुजरात में बड़ा हादसा, टूट गया ब्रिज
गुजरात के मोरबी जिले में रविवार शाम एक बड़ा हादसा हो गया. यहां माचू नदी पर बना केबल ब्रिज अचानक टूट गया.
Pooja Mishra
गुजरात के मोरबी जिले में रविवार शाम एक बड़ा हादसा हो गया. यहां माचू नदी पर बना केबल ब्रिज अचानक टूट गया. उस वक्त पुल पर करीब 400 लोग मौजूद थे, जिनमें से 100 लोग नदी में गिर गए. जानकारी के मुताबिक माचू नदी पर बना यह केबल ब्रिज काफी पुराना था. इसे हेरिटेज ब्रिज में शामिल किया गया था. दिवाली के बाद गुजराती नव वर्ष पर ही मरम्मत के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था. जानकारी के मुताबिक करीब 7 महीने से पुल मरम्मत के लिए बंद था. दो दिन पहले ही इसे खोला गया था. फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. 100 लोगों को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं.
#WATCH | Several people feared to be injured after a cable bridge collapsed in the Machchhu river in Gujarat's Morbi area today
PM Modi has sought urgent mobilisation of teams for rescue ops, while Gujarat CM Patel has given instructions to arrange immediate treatment of injured pic.twitter.com/VO8cvJk9TI
इस हादसे के बाद पीएमओ ने ट्वीट किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों ने मोरबी में हुए हादसे के बारे में बात की. उन्होंने बचाव अभियान के लिए टीमों को तत्काल जुटाने, स्थिति की बारीकी से और लगातार निगरानी करने और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने को कहा है. इस हादसे पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ट्वीट किया- मोरबी में सस्पेंशन ब्रिज गिरने की घटना से दुखी हूं. बचाव और राहत कार्य जारी है. घायलों के तत्काल इलाज के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. मैं इस घटना को लेकर लगातार जिला प्रशासन के संपर्क में हूं.
घायलों का तत्काल इलाज
इस घटना पर दुख जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया, 'मोरबी में हुए हादसे से बहुत दुखी हूं. मैंने इस विषय पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी और अन्य अधिकारियों से बात की है. स्थानीय प्रशासन पूरी तत्परता से राहत कार्य में लगा हुआ है, एनडीआरएफ भी जल्द ही मौके पर पहुंच रहा है. प्रशासन को घायलों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं. मोरबी का यह झूलता हुआ पुल 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है. इस पुल की नींव 20 फरवरी 1879 को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल के हाथों रखी गई थी. कहा जाता है कि उस समय इस पुल के निर्माण में करीब साढ़े तीन लाख रुपये खर्च किए गए थे. यह पुल दरबारगढ़ को नज़रबाग से जोड़ता है, जिसके निर्माण के लिए सामग्री तब इंग्लैंड से आयात की जाती थी.