Special Story: रतन टाटा ने चूना पत्थर तोड़ने का काम किया था, चेयरमैन बनने के बाद कंपनी को करवाया 50 गुना अधिक मुनाफा

रतन टाटा भारत के एक कामयाब बिजनेसमैन के साथ-साथ फिलानथ्रोपिस्ट के रुप में भी मशहूर हैं.

रतन टाटा भारत के एक कामयाब बिजनेसमैन के साथ-साथ फिलानथ्रोपिस्ट के रुप में भी मशहूर हैं. लेकिन उनकी कई ऐसी अनोखी बातें हैं, जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. आज उनके बारे में हम आपको कुछ ऐसी ही बाते बताने जा रहें हैं. 

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को एक बेहद अमीर परिवार में हुआ था लेकिन बेहद कम उम्र में ही उनके माता-पिता एक-दूसरे से अलग हो गए जिसके बाद उनकी दादी ने उन्हें पाला. बेहद कम उम्र में ही उनके चाचा जमशेद जी टाटा को उनमें एक नेतृत्व करने वाला व्यक्तित्व दिखाई देने लगा था. 


रतन टाटा जब अमेरिका में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे तब 1961 में उन्हें आईबीएम से नौकरी का अवसर मिला, उन्होंने इसमें 15 दिन काम भी किया था लेकिन जमशेद जी टाटा उन्हें किसी दूसरी कंपनी में काम नहीं करने नहीं देना चाहते थे. वे चाहते थे रतन टाटा भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान दे और पारिवारिक व्यवसाय को संभाले,  इसलिए उन्होंने रतन टाटा को वापस भारत बुलाकर पारिवारिक व्यवसाय में शामिल कर दिया. पारिवारिक व्यवसाय होने के बावजूद उन्होंने नीचे से काम करना शुरू किया.


शुरुआत में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर चूना पत्थर फावड़ा और ब्लास्ट फर्नेस को संभाला, इसके बाद उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (NELCO) में निदेशक-प्रभारी के रूप में पदोन्नत किया गया. उस समय कंपनी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही थी. रतन ने सुझाव दिया कि नेल्को को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य आईटी (IT) उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए. नेल्को के वित्तीय प्रदर्शन के कारण जेआरडी शुरू में ऐसा करने से थोड़ा डर रहे थे, लेकिन उन्होंने फिर भी रतन के सुझावों को माना और जिसके बाद नुकसान में चलने वाली कंपनी मुनाफे में आ गई. उनके इस प्रदर्शन से जमशेद जी टाटा काफी प्रभावित हुए.

1991 में उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया. जिसके बाद रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह के रेवेन्यू में 40 गुना से अधिक की वृद्धि हुई और मुनाफा 50 गुना से अधिक बढ़ गया. 1991 में केवल 5.7 बिलियन डॉलर कमाने वाली कंपनी ने 2016 में लगभग 103 बिलियन डॉलर कमाए.

दिग्गज बिजनेस मैग्नेट रतन टाटा को भारत के अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए 2000 में 'पद्म भूषण' और 2008 में 'पद्म विभूषण' भी मिल चुका है. आपको बता दें कि टाटा संस की लाभ का  66 प्रतिशत हिस्सा देश के कई परोपकारी कामों में इस्तेमाल होता है. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है कि वे भारत के बच्चों में कुपोषण को खत्म करें.