ज्ञानवापी मस्जिद की होगी जांच, मुस्लिम पक्ष की याचिका हुई खारिज

ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की अनुमति मिल गई है. वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का बिना कोई नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए.

ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की अनुमति मिल गई है. वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का बिना कोई नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए. एएसआई को 4 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी. 14 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने करीब डेढ़ घंटे तक चली बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इलाके का एएसआई सर्वे

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा- हमने कहा था कि पूरे इलाके का एएसआई सर्वे होना चाहिए. आज कोर्ट ने हमारी अर्जी पर सहमति जताई और अब एएसआई इस केस की दिशा और दशा तय करेगा. शिवलिंग का कोई सर्वे नहीं होगा. उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसकी अगली सुनवाई 29 अगस्त को है.

परिसर के सर्वेक्षण की मांग

मौखिक साक्ष्य के आधार पर कोई भी पक्ष नहीं रखा जा सकता, इसलिए सर्वेक्षण अनिवार्य है। हम पूरे परिसर के सर्वेक्षण की मांग करते हैं, ताकि सभी को पता चले कि यह परिसर स्वयंभू आदि विश्वेवर मंदिर है. मंदिर के बारे में बताने वाला तो कोई जीवित नहीं है, लेकिन इतिहास है, जो बहुत कुछ बता रहा है. सर्वे के बाद वाराणसी का इतिहास सामने आएगा.

ज्ञानवापी का सर्वे 

वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने दलील दी कि 14 से 16 मई के बीच ज्ञानवापी के सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर एक अलग सफेद पत्थर मिला था. उस पर कट का निशान था. इसमें सींक डालने पर 63 सेमी की गहराई मिली. गोलाकार पत्थर की आकृति के आधार का व्यास 4 फीट पाया गया. ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए कोई जगह नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वस्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे प्रतीक पाए गए थे.