वस्तु एवं सेवा कर परिषद एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है. इस नए कानून के तहत अगर किसी कंपनी या कारोबारी ने अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया है तो उसे इसका कारण बताना होगा या अतिरिक्त रकम सरकारी खजाने में जमा करानी होगी.
सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों वाली कानून समिति का विचार है कि जहां जीएसटीआर-3बी रिटर्न में दावा किया गया आईटीसी जीएसटीआर-बी में बताई गई राशि से एक निश्चित सीमा से अधिक है, तो पंजीकृत व्यक्ति को कर का भुगतान करना चाहिए. यह जानकारी पोर्टल के माध्यम से माध्यम से दी जानी चाहिए. साथ ही उन्हें इस अंतर का कारण बताने या अतिरिक्त आईटीसी ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
बैठक में समिति की सिफारिश
11 जुलाई को होने वाली जीएसटी परिषद की 50वीं बैठक में समिति की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है. वर्तमान में, व्यवसाय जीएसटीआर -3 बी में अपनी जीएसटी देनदारी का निपटान करने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए कर का उपयोग करते हैं.
आईटीसी का लाभ
जीएसटी अधिकारियों ने पिछले महीने जीएसटीआर-1 में घोषित कर देनदारी और जीएसटीआर-3बी में भुगतान किए गए कर में अंतर के मामलों में समान कर चोरी को रोकने के लिए यह कदम उठाया था. इस कदम का मकसद फर्जी चालान के मामलों पर लगाम लगाना है. जालसाज आमतौर पर सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं.