शिव के त्रिशूल पर विराजित है बनारस, जरूर करें काशी तीर्थ यात्रा

सोमवार के मौके पर काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक एवं पूजन-दर्शन के लिए यहां आए लाखों देशी-विदेशी शिवभक्तों के हर-हर महादेव बम-बम भोले बम-बम लहरी के जयकारे से आकाश गूंजायमान रहा.

काशी विश्वेश्वर लिंग ज्योतिर्लिंग है जिसके दर्शन से मनुष्य परम ज्योति को पा लेता है सभी लिंगों के पूजन से सारे जन्म में जितना पुण्य मिलता है उतना केवल एक ही बार श्रद्धापूर्वक किए गए विश्वनाथ के दर्शन-पूजन से मिल जाता है.

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काशी की अपार शक्ति

आपको बता दें कि, काशी विश्वनाथजी के दर्शन आदि का महत्व‍ विस्ता‍रपूर्वक बताया गया है. इनके दर्शन मात्र से ही सांसारिक भयों का नाश हो जाता है और अनेक जन्मों के पाप आदि दूर हो जाते है. काशी विश्वेश्वर लिंग ज्योतिर्लिंग है जिसके दर्शन से मनुष्य परम ज्योति को पा लेता है. सभी लिंगों के पूजन से सारे जन्म में जितना पुण्य मिलता है. उतना केवल एक ही बार श्रद्धापूर्वक किए गए विश्वनाथ के दर्शन-पूजन से मिल जाता है.

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सोमवार को होती है भीड़

सैकड़ों जन्मों के पुण्य के ही फल से विश्वनाथ जी के दर्शन का अवसर मिलता है. मान्यता है कि शिव के त्रिशूल की नोंक पर वाराणसी शहर बसा है. गंगा नदी के तट पर विद्यमान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में वैसे तो सालभर यहां श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-अर्चना के लिए आने का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन सावन आते ही इस मोक्षदायिनी मंदिर में देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का जैसे सैलाब उमड़ जाता है.